नोएडा के डिफॉल्टर बिल्डरों को कुछ राहत : सुप्रीम कोर्ट ने एक बिल्डर की याचिका पर अथॉरिटी को भेजा नोटिस, यह है मामला

नोएडा | 2 साल पहले | Pankaj Parashar

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Noida News : नोएडा के रियल्टर्स को एक बड़ी राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने प्राधिकरण को आदेश दिया है। दरअसल, पिछले दिनों बड़े बकाया का हवाला देते हुए एक परियोजना का आवंटन अथॉरिटी ने रद्द कर दिया था। कंपनी ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी। अदालत को बताया कि साल 2013 में राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल (Natioanal Green Tribunal) के आदेशों के कारण साइट पर निर्माण कार्य बाधित हो गया था। जब परियोजना शुरू नहीं हो पाई तो कंपनी पैसा कैसे देती। इस मामले में नोएडा प्राधिकरण (Noida Authority) ने अपना जवाब देने के लिए समय मांगा। अब कोर्ट 1 मई को सुनवाई करेगा।

गोल्फ ग्रीन बिल्डर की और से दायर की गई याचिका पर न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अदालत सुनवाई कर रही है। याची ने अदालत को बताया कि 14 अगस्त 2013 से 19 अगस्त 2015 तक शून्यकाल था। नोएडा प्राधिकरण ने भूमि की बकाया राशि के भुगतान में चूक के लिए आवंटन रद्द कर दिया है। दूसरी तरफ अथॉरिटी लगातार डिफॉलटर बिल्डरों को लीज रद्द करने का नोटिस जारी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद रीयलटर्स ने कहा है कि यह आदेश बाकी परियोजनाओं पर भी लागू होगा। क्योंकि 2013 में एनजीटी के आदेश के दौरान सभी परियोजनाएं प्रभावित हुई थीं।

हरेंद्र यादव ने कहा, "हमने सेक्टर-79 में सनशाइन सोलारिस के नाम से 2.5 एकड़ भूमि पर लगभग 200 इकाइयां विकसित कीं। हमारी याचिका इस आधार पर दायर की गई कि निर्माण कार्य 14 अगस्त 2013 से 19 अगस्त 2015 तक बाधित हुआ था, इसलिए प्राधिकरण को इस पर ब्याज नहीं लगाना चाहिए। एनजीटी के आदेश के बाद निर्माण रोक दिए गए थे। इस अवधि के दौरान का बकाया है।" सनशाइन सोलारिस से जुड़े इस आदेश के कारण लगभग 200 परियोजनाओं को लाभ मिलना चाहिए।

रियल्टी फर्म गोल्फग्रीन रेजिडेंसी प्राइवेट लिमिटेड ने सेक्टर-79 में सनशाइन सोलारिस के नाम से हाऊसिंग सोसायटी विकसित की है। कंपनी ने जनवरी में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। मांग की थी कि कंपनी कम से कम 2 साल का लाभ पाने के लिए पात्र है। जब निर्माण कार्य पर प्रतिबंध था। राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने 14 अगस्त 2013 को निर्माण रुकवा दिया था। करीब दो साल काम रुका रहा। प्राधिकरण ने 2013 में केवल दो महीने के लिए 'शून्य अवधि' प्रदान की। शून्य अवधि के दौरान प्राधिकरण बकाया पर ब्याज नहीं लेता है। इसलिए हमें कम से कम दो साल के लिए जीरो पीरियड मिलना चाहिए। ताकि हमें इस अवधि के लिए ब्याज माफी मिल सके। अगर हमारी मांग मंजूर हो जाती है तो हमें वित्तीय लाभ मिलेगा। इससे प्रभावित सभी विकासकर्ताओं को लाभ मिलेगा।

दूसरी तरफ नोएडा अथॉरिटी की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी ने कहा, 'हम इस आदेश पर गौर करेंगे। मैंने अभी आदेश पढ़ा नहीं है। इस पर उचित कार्रवाई करेंगे।"

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