क्या था स्मारक घोटाला : हाथियों के नाम पर हुई थी अरबों की बंदरबांट, जानिये कैसे सामने आया था मामला और कैसे शुरू हुई जांच 

नोएडा | 2 घंटा पहले | Lokesh Chauhan

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Noida News : नोएडा और लखनऊ में बने स्मारकों में लगाए गए हाथी और सेंडस्टोन की खरीद-फरोख्त के नाम पर करीब 1400 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। वर्ष 2012 में इस मामले की जांच शुरू की गई थी। उत्तर प्रदेश में तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार द्वारा जांच विजिलेंस को सौंपी गई थी। विजिलेंस टीम ने जांच शुरू करने के बाद एक जनवरी 2014 को पूर्व मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्​दकी, सीपी सिंह, निर्माण निगम व पीडब्ल्यूडी के अधिकारी और कई स्टेकहोल्डर पर एफआईआर दर्ज की थी। 

बिना प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति कराए थे कई काम 
घोटाले के समय मोहिन्दर सिंह नोएडा अथॉरिटी के सीईओ थे और उनके पास प्रमुख सचिव आवास पद की जिम्मेदारी भी थी। विजिलेंस की शुरुआती जांच में सामने आया था कि घोटाले दौरान प्रमुख सचिव आवास के रूप में मोहिंदर सिंह ने बिना प्रशासनिक और वित्तीय स्वीकृति के कई कार्यों को किए जाने को मंजूरी दी थी। इसमें सीधे तौर पर कुछ नेताओं का हस्तक्षेप भी सामने आया था। जिनके कहने पर मोहिंदर सिंह ने स्वयं के स्तर से कई मामलों में सहमति दी थी। 

विजिलेंस टीम के पास इस समय जांच की जो फाइल है, उसमें में तत्कालीन बसपा सरकार में मंत्री रहे नसीमुद्दीन सिद्दकी और बाबू सिंह कुशवाहा से जुड़े कई महत्वपूर्ण साक्ष्य होने की बात भी सामने आ रही है। इन दोनों पूर्व मंत्रियों से स्मारक घोटाले में विजिलेंस टीम एक बार पूछताछ कर चुकी है। लखनऊ के गोमती नगर थाने में इन दोनों पूर्व मंत्रियों के साथ 19 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी। तत्कालीन लोकायुक्त एनके मेहरोत्रा द्वारा की गई जांच में 1400 करोड़ के घोटाला किए जाने की पुष्टि की गई थी। सपा सरकार जाते ही जांच भी सुस्त पड़ती गई और विजिलेंस टीम के साथ आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई भी ठंडे बस्ते में चली गई थी।  

यह बयान बना था सबसे अहम 
फतेहपुर सीकरी के रहने वाले मूर्तिकार मदनलाल ने विजिलेंस टीम के अधिकारियों को बताया था कि लखनऊ मार्बल्स के मालिक आदित्य अग्रवाल ने एक हाथी बनाने के लिए 48 लाख रुपये देने की बात कही थी, भुगतान में रूप में उसे मात्र 5 लाख 56 हजार ही मिले। नोएडा स्थित पार्क के लिए 60 हाथी बनाने का आर्डर दिया था, जबकि वहां सिर्फ 20 ही लगे। नोएडा पार्क में 156 व लखनऊ के अम्बेडकर पार्क में 52 हाथी लगने थे। इस बयान पर ही कई मार्बल कारोबारी फंसे थे। 

5 लाख में तैयार हाथी नोएडा पहुंचा 47 लाख में 
यूपी राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के टेंडर के हिसाब से लखनऊ मार्बल्स ने पांच लाख 62 हजार में एक हाथी तैयार किया। हाथी तैयार करके उसे नोएडा तक पहुंचाने और रखरखाव पर 47 लाख रुपये वसूले थे। नोएडा में एक मूर्ति लगवाने का खर्चा 52 लाख 62 हजार 500 रुपये आया। इस मामले में लखनऊ से जयपुर, दिल्ली तक कई मार्बल कारोबारी व ठेकेदारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी। वहीं स्मारकों के रखरखाव और सुरक्षा में तैनात कर्मचारियों के पीएफ खातों से पैसे निकालकर भी करोड़ों रुपये का फर्जीवाड़ा किया गया था।

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