उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद और राज्य के विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के लिए बड़ी खबर है। एग्जाम से पहले सरकार छात्र-छात्राओं को कोरोनावायरस से बचाव के लिए वैक्सीन दे सकती है। दरअसल, मंगलवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि जो छात्र छात्राएं ऑफलाइन एग्जाम में शामिल होंगे, उन्हें वैक्सीनेशन दिया जाना चाहिए। अब राज्य सरकार के सूत्रों से जानकारी मिली है कि हाईकोर्ट के आदेश को अफसर पढ़ रहे हैं। अब 19 अप्रैल को एक बार फिर इस जनहित याचिका पर सुनवाई होगी। उस दिन राज्य सरकार स्थिति स्पष्ट करेगी।
उत्तर प्रदेश में तेजी से फैल रहे कोरोनावायरस के संक्रमण और इलाज ना मिलने से बढ़ रही आम आदमी की परेशानी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। जिस पर मंगलवार को जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजित कुमार ने सुनवाई की। अदालत ने अपने आदेश में कहा, "टीकाकरण कार्यक्रम बड़ी संख्या में लोगों प्रतिरक्षित करने के लिए सख्ती से किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार और इंडियन मेडिकल रिसर्च सेंटर उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों को टीकाकरण का लाभ दे। युवा पीढ़ी की आबादी में बड़े पैमाने पर संक्रमण को देखते हुए हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को टीका लगाने पर विचार करना चाहिए। यदि बोर्ड और अन्य परीक्षा आयोजित करने वाले निकाय ऑफ़लाइन परीक्षा करवा रहे हैं तो सरकार को ऐसे छात्रों को टीकाकरण का लाभ देने के लिए व्यवहार्यता का पता लगाना चाहिए।"
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में ऐसे छात्र-छात्राओं की संख्या करीब एक करोड़ है, जो उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद और राज्य में विभिन्न विश्वविद्यालयों की परीक्षाओं में ऑफलाइन शामिल होंगे। इनमें उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा 56,03,813 छात्र-छात्राएं देंगे। इस बार 29,94,312 परीक्षार्थी हाईस्कूल और 26,09,501 परीक्षार्थी इंटरमीडिएट की परीक्षा देने वाले हैं। उत्तर प्रदेश में बोर्ड के एग्जाम 8 मई को शुरू हो जाएंगे। दूसरी ओर राज्य के विश्वविद्यालयों में करीब 50 लाख छात्र हैं। इन्हें भी ऑफलाइन परीक्षाओं में शामिल होना है। आपको यह भी बता दें कि यूपी बेसिक शिक्षा परिषद ने अपने करीब 5 करोड़ छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा दिए अगली कक्षाओं में भेज दिया है।
राज्य सरकार के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया, "हम लोग हाईकोर्ट का आदेश आने से पहले ही परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्र-छात्राओं को प्रतिरक्षित करने की योजना बना रहे थे। दरअसल, अभी केंद्र सरकार ने 45 वर्ष तक की आयु के लोगों को प्रशिक्षित करने का कार्यक्रम जारी किया है। उम्मीद है कि जल्दी केंद्र सरकार परीक्षाओं में शामिल होने वाले छात्रों को लेकर कोई फैसला लेगी। अब हाईकोर्ट का आदेश आने के बाद इस दिशा में राज्य और केंद्र सरकार के बीच विचार-विमर्श होगा।" उम्मीद है कि हाईकोर्ट के इस निर्देश पर राज्य सरकार 19 अप्रैल को होने वाली सुनवाई के दिन स्थिति साफ करेगी।