कुत्तों का आतंक : गाजियाबाद में रेबीज का टीका लगने के बाद भी चली गई मासूम की जान, व्यवस्था पर बड़े सवाल

गाजियाबाद | 3 महीना पहले | Dhiraj Dhillon

Tricity Today | symbolic image



Ghaziabad News : कुत्ते के काटने के एक माह बाद मासूम की जान चली गई। एंटी रेबीज टीका भी उसकी जान बचाने में नाकाम रहा। यह खबर जिसने भी सुनी सिहर गया। रो- रोकर परिवार का बुरा हाल है, उनके सगे संबंधी “होनी को कौन टाल सकता है” जैसी बात कर परिवार का ढांढस बंधाने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन माता-पिता का बस एक सवाल सबको निरुत्तर कर देता है, उस मासूम ने किसी का क्या बिगाड़ा जो भगवान ने इतनी जल्दी उसे अपने पास बुला लिया। 

चेहरे, गर्दन और छाती पर किए थे वार
भोजपुर ब्लॉक के बढायला गांव में शिव‌कुमार अपने परिवार के साथ रहते हैं। उनके तीन साल के मासूम नित्यांश पर 25 जून की शाम को घर के बाहर ही एक आवारा कुत्ते ने भयंकर हमला कर दिया था। कुत्ते ने उसके चेहरे गर्दन और छाती पर कई वार कर लहुलुहान कर दिया था। परिवार के लोग तत्काल उसे एक निजी अस्पताल में लेकर पहुंचे जहां डाक्टरों ने इम्यूनोग्लोबिन रेबीज सीरम लगाया था। दूसरी और तीसरी डोज नित्यांश को भोजपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर दिलाई गई थीं। लेकिन समय के साथ बच्चे में रेबीज के लक्षण बढ़ने लगे। शिवकुमार इस हॉस्पिटल से उस हॉस्पिटल में दौड़ते रहे। 

मेरठ मेडिकल से एम्स किया रेफर
नित्यांश को लेकर शिवकुमार मेरठ मेडिकल कॉलेज पहुंचे। डाक्टरों ने देखा बच्चा पानी से बहुत डर रहा है, उसके मुंह से झाग निकल रहे हैं और डॉग बाइट से खून रिस रहा है। डाक्टरों ने जान लिया कि रेबीज का असर बच्चे पर हावी होता जा रहा है।डाक्टरों ने बच्चे की गंभीर हालत को देखते हुए उसे एम्स, दिल्ली के लिए रेफर कर दिया। एम्स के डाक्टरों ने भी माना रेबीज का असर भयंकर हो चुका है। अब कुछ नहीं हो सकता। एम्स के डाक्टरों के हाथ खड़े कर देने के बाद क्या बचता है, यह‌ी सोचकर परिजन नित्यांश को लेकर घर लौट आए। घर पहुंचने से पहले ही मासूम परिवार को सिसकता छोड़ इस दुनिया से चला गया।
 
शरीर के ऊपरी हिस्से में तेज होता रेबीज का असर : डाॅ. संतराम
जिला एमएमजी चिकित्सालय में वरिष्ठ फिजीशियन डाॅ. संतराम बताते हैं कि डॉग बाइट यदि शरीर के ऊपरी हिस्से में हो तो ज्यादा खतरनाक होती है। चेहरे और गर्दन पर कुत्ता काटे तो ऐसे मामले को गंभीरता से लेना चाहिए। क्योंकि इस पीड़ित के पास समय बहुत कम होता ह‌ै। रेबीज जल्दी फैलता है। एंटी रेबीज वैक्सीन (एआरवी) के मामले में डाक्टर संतराम का कहना है कि 24 घंटे के भीतर एआरवी 99 प्रतिशत मामलों में एंटी रेबीज सुरक्षा प्रदान कराता है। एआरवी लगवाने में भूलकर भी कोई लापरवाही न करें। ऐसा सोचना गलत है कि टीका लगने के बाद भी नित्यांश की जान नहीं बची तो टीका बेअसर हो गया, हर मामले में कुछ अलग परिस्थितियां भी हो सकती हैं। 

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