ग्रेटर नोएडा : किसानों ने रितु महेश्वरी को लिखा खत- समस्याओं पर चर्चा करो नहीं तो घेराव करेंगे

Google Image | Ritu Maheshwari



Greater Noida : ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण (Greater Noida Authority) की मुख्य कार्यपालक अधिकारी रितु माहेश्वरी (Ritu Maheshwari IAS) से किसान सभा के प्रवक्ता डॉ.रुपेश वर्मा ने किसानों के सामूहिक मुद्दों पर गंभीर चर्चा के लिए समय मांगा है। रूपेश ने कहा, "प्राधिकरण में लंबे समय से पूर्णकालिक सीईओ नहीं है। नोएडा की सीईओ केवल मंगलवार के दिन प्राधिकरण में आती हैं। जिसमें मिलने वालों की भीड़ बहुत ज्यादा रहती है। इस कारण किसी भी समस्या का कोई हल नहीं हो रहा है।"

'लीजबैक के मामलों में कोई प्रगति नहीं'
रूपेश वर्मा ने कहा, "सैकड़ों की संख्या में किसान अपनी आबादियों की लीज बैक कराने के लिए प्राधिकरण पहुंचते हैं। किसी किसान की लीजबैक की कार्रवाई नहीं की गई है। लीजबैक के 533 प्रकरणों में शासन स्तर से मंजूरी प्राप्त करनी है। इसमें प्राधिकरण की कोई रुचि नहीं है। साथ ही शिफ्टिंग के 208 प्रकरणों में लीजबैक के लिए कोई कार्यवाही प्राधिकरण स्तर पर नहीं हो रही है। एडीएम (एलए) ऑफिस में सैकड़ों की संख्या में किसानों ने मूल मुआवजा प्राप्त करने के लिए पत्रावली दाखिल की गई हैं। किसानों को मूल मुआवजा नहीं मिला है। लीजबैक करने के लिए लगाए गए कैंप में कागज पूरे नहीं हो रहे हैं।

'लीजबैक पॉलिसी 12 साल पहले बनी थी'
रूपेश ने आगे लिखा, "गांवों में सड़क, सीवर और वाटर सप्लाई के मेंटेनेंस की हालत बेहिसाब खस्ता है। गांवों और किसानों की घोर उपेक्षा की जा रही है। लीजबैक की पॉलिसी बने 12 वर्ष हो गए हैं और किसान आज तक लीजबैक करवाने के लिए भटक रहे हैं। प्राधिकरण की सीईओ के पास किसानों की समस्याओं को हल करने का समय नहीं है। लीजबैक के लिए लगाए गए कैंप का कोई अर्थ नहीं है, क्योंकि बिना मुआवजा मिले लीजबैक की कार्रवाई किया जाना संभव नहीं है। जिन किसानों ने लीजबैक के लिए समस्त कागजी कार्रवाई पूरी कर दी है, उनकी भी लीजबैक की कार्यवाही नहीं हो पा रही है।" 

'सीईओ समय देंगी नहीं तो घेराव करेंगे'
रूपेश ने आगे कहा, "इसलिए आज किसान सभा की ओर से किसानों की समस्याओं पर मुलाकात करने के लिए सीईओ से समय मांगा है। यदि सामूहिक समस्याओं पर सीईओ अपना समय नहीं देती हैं तो किसानों की समस्याओं को लेकर सीईओ का घेराव किया जाएगा।" किसान सभा की ओर से इस आशय का पत्र ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को भेजा गया है।

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