यमुना एक्सप्रेस वे पर हजारों लोगों की भीड़, भूख-प्यास, बारिश और पांवों में छाले लेकिन घर पहुंचने की इच्छा

Tricity Today | COVID-19 का कहर



कोरोना वायरस के कारण हुए राष्ट्रव्यापी लॉक डाउन के बाद लगातार दिल दहला देने वाली तस्वीरें पिछले 72 घंटों से सामने आ रही हैं। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मजदूरी और छोटे-मोटे काम करके अपनी गुजर-बसर करने वाले हजारों लोग पैदल अपने घरों के लिए लौट रहे हैं। इन लोगों का हाल बयां करने के लिए शब्द भी छोटे पड़ जाएंगे। महीने दो महीने के मासूम बच्चों को गोद में लेकर महिलाएं बारिश में भीग रही हैं। अधेड़ उम्र के लोगों के पांव में मोटे-मोटे छाले पड़ गए हैं। कई लोगों ने तो दो-दो दिन से खाना नहीं खाया है।

महिलाएं घर का सामान सर पर लादकर ले जा रही हैं। महिलाओं से पूछा कि ऐसा क्या कीमती सामान है, जिसे लेकर आप सैकड़ों किलोमीटर पैदल चली आईं? जवाब मिला हमारे पास चार बर्तन, दो धोती और एक जोड़ी चप्पल के सिवाय और क्या है? इसे भी अगर वहां छोड़ आते तो गांव जाकर क्या पहनते।

शुक्रवार को दिन में इन लोगों की भीड़ को गाजियाबाद में यूपी गेट पर दिल्ली और यूपी पुलिस ने रोक लिया। घंटों मशक्कत के बाद यह लोग वहां से किसी तरह निकले और शुक्रवार की देर शाम हजारों लोगों की भीड़ ग्रेटर नोएडा में यमुना एक्सप्रेस वे पर पहुंच गई। इन लोगों का कहना है कि हमने टीवी पर देखा था, अखबार में पढ़ा था कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हम लोगों को घर पहुंचाने के लिए बसें चलवाई हैं। 

बिना सोए दिन-रात पैदल चलकर हम बस पकड़ने के लिए गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा पहुंचे। यहां आने पर पता चला कि मुख्यमंत्री ने घोषणा कर दी है कि अब किसी को कोई बस नहीं मिलेगी। जो जहां है वहीं रहेगा। देर रात हुई बारिश ने इन लोगों की दुर्गति और ज्यादा कर दी। महिलाएं दुधमुंहे बच्चों को किसी तरह आंचल में समेट कर भीगने से बचाती नजर आईं। लोग पेड़ों के नीचे खड़े होकर बारिश से बचने की कोशिश करते दिखे।

इन लोगों के बुरे हाल को संभाल रही पुलिस का भी बुरा हाल हो चला है। सैकड़ों पुलिस वाले दिन रात ड्यूटी कर रहे हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शुक्रवार को बड़ी संख्या में आए लोगों का पेट भरने के लिए पुलिस ने फोन कर करके इंडस्ट्री, इंस्टिट्यूशन और व्यापारियों से अपील की कि वह बिस्किट, ब्रेड या खाना बनवा कर दें। कुछ भी ऐसा सामान जो इन लोगों का पेट भर सकता है, पहुंचाएं।

कोरोना वायरस से बीमार होने की त्रासदी तो पता नहीं कैसी होगी लेकिन अभी इस वायरस से बचाव के लिए जो त्रासदी भारतीयों के सामने खड़ी हुई है, उसे बताना भी आसान नहीं है। लोगों का कहना है कि हमें यहीं सड़क पर मरने के लिए छोड़ दिया है। हम यहां नहीं मरेंगे। ऐसे ही पैदल घर जाएंगे

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