Tricity Today | प्रतीकात्मक फोटो
लॉकडाउन के चलते लोगों को परेशानियां तो बहुत सारी हो रही हैं लेकिन कई अच्छी चीजें भी सामने आ रही हैं। पर्यावरण सुधरा है। प्रदूषण लगभग शून्य है। वहीं, अब नोएडा शहर से एक और बड़ा सकारात्मक बदलाव सामने आया है। नोएडा से निकलने वाला कूड़ा घटकर आधा रह गया है। इससे ना केवल पोलूशन कम हुआ है बल्कि नोएडा विकास प्राधिकरण का खर्च भी करोड़ों रुपए बच गया है। हालांकि, प्राधिकरण अफसरों का कहना है जैसे ही लॉकडाउन खत्म होगा दोबारा हालात जस के तस हो जाएंगे।
पहले लॉकडाउन से अब तक शहर में कूड़े की निकासी करीब 50 प्रतिशत घट गई है। ल़ॉकडाउन से पहले सेक्टर-145 के डंपिंग ग्राउंड में रोजाना 1100-1200 टन कूड़ा डाला जा रहा था। अब पिछले दो महीनों से रोजाना केवल 550-600 टन कूड़ा डंपिंग ग्राउंड में जा रहा है। इसकी वजह साफ है कि लॉकडाउन के 2 महीनों में शहर के तमाम मॉल्स, मल्टिप्लेक्स, होटल, रेस्तरां, ढाबे, बाजार, इंडस्ट्रीज, संस्थान और अन्य बड़े कूड़ा पैदा करने वाले स्थान बंद पड़े हुए हैं। यह आंकड़े बता रहे हैं कि बड़े कूड़ा उत्पादक अपना कूड़ा निस्तारण करने की जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं।
अब नए सिरे से कोशिश करेगा विकास प्राधिकरण
शहर के बड़े कूड़ा उत्पादकों को अपने कूड़े का निस्तारण खुद ही करना होता है। विकास प्राधिकरण ने यह व्यवस्था लागू करने के लिए भरसक प्रयास किए लेकिन हालात जस के तस बने रहे। हालांकि, लॉकडाउन का एक फायदा यह भी मिला है कि प्राधिकरण को अंदाजा हो गया है कि शहर के आवासीय क्षेत्रों से कितना कूड़ा निकलता है, जिसे निस्तारित करने की जिम्मेदारी उनकी है। बाकी कूड़ा कमर्शियल, इंडस्ट्री और दूसरे बड़े स्थानों से निकल रहा है। प्राधिकरण के अधिकारियों का कहना है कि लॉकडाउन के बाद इस दिशा में सुधार का प्रयास नए सिरे से किया जाएगा।
कूड़ा निस्तारण से जुड़ा कानून लागू किया गया लेकिन फायदा नहीं
विकास प्राधिकरण के तमाम प्रयासों के बावजूद शहर में इस एक्ट को लागू करने में कामयाबी नहीं मिल पाई। नोएडा प्राधिकरण पिछले ढाई साल से लगातार प्रयास कर रहा है कि बड़े कूड़ा उत्पादक अपने कूड़े का निस्तारण खुद करें पर रिजल्ट अभी जीरो है। इस बारे में नोएडा विकास प्राधिकरण के प्रमुख कार्यपालक अधिकारी प्रवीण मिश्रा का कहना है कि हम लोगों ने कई बार बड़े कूड़ा उत्पादकों के साथ मीटिंग की है। कार्रवाई भी की है। लेकिन अभी और प्रयास करने की जरूरत लग रही है। आगे की कार्य योजना बनाएंगे कि कैसे इसे सफल बनाया जा सकता है।
प्राधिकरण को 40 करोड़ रुपये सालाना की बचत होगी
नोएडा विकास प्राधिकरण एक साल में शहर से कूड़ा उठाने पर करीब 30-35 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है। अगर 50 प्रतिशत कूड़ा बड़े उत्पादक खुद निस्तारित करें तो 15-20 करोड़ रुपये की सालाना बचत सिर्फ कूड़ा उठाने में हो सकती है। कूड़ा उठाने के बाद इसके निस्तारण पर होने वाले खर्च में भी लगभग इतना ही पैसा बचाया जा सकता है। लिहाजा, विकास प्राधिकरण अगर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एक्ट को शक्ति के साथ लागू करने में कामयाब हो जाता है तो करीब 30-40 करोड़ रुपये सालाना का खर्च बच सकता है।
कचरा मुक्ति के प्रयासों में शहर को मिला केवल एक स्टार
स्वच्छ भारत अभियान के तहत इस साल केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने एक नई योजना शुरू की थी। जिसमें देश के शहरों को 1 स्टार, 3 स्टार और 5 स्टार कैटेगरी में बाटा गया है। कचरा निस्तारण के मामले में सबसे बेहतरीन काम करने वाले शहरों को फाइव स्टार रेटिंग दी गई है। नोएडा शहर को इस मामले में केवल 1 स्टार मिला है। 3 दिन पहले केंद्रीय शहरी विकास मंत्री ने कचरा मुक्त शहरों की सूची जारी की थी। देश के छोटे छोटे शहर नोएडा से बेहतर काम करके फाइव स्टार हासिल करने में कामयाब हुए हैं।
जन भागीदारी के बिना कुछ करना सम्भव नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी मुहिम को सफल बनाने के लिए वहां के आम आदमी का सहयोग नितांत आवश्यक है। जब तक शहर के विकास या सुधार में आम आदमी शरीक नहीं होता है, तब तक कोई परिणाम सामने नहीं आ सकता। सीनियर रिटायर्ड आईएएस अफसर और नोएडा के निवासी योगेंद्र नारायण का कहना है, "इंदौर, सूरत, वडोदरा और चंडीगढ़ जैसे शहर स्वच्छ भारत अभियान की रैंकिंग में इसी वजह से टॉप पर रहते हैं। वहां के निवासी अपने शहर को साफ सुथरा रखने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। लोग नियमों का पालन करते हैं। जिसका लाभ उन्हें ही मिल रहा है। लिहाजा, विकास प्राधिकरण को एक ऐसी योजना तैयार करनी चाहिए जिसमें स्थानीय निवासी शामिल हों। वह इस मुहिम से जुड़ कर सम्मानित महसूस करें।
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