Google Image | प्रतीकात्मक फोटो
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अगले एक साल के लिए शहर में पेयजल आपूर्ति की दरें बढ़ा दी हैं। हालांकि, कोरोना वायरस संक्रमण के कारण चल रही आर्थिक मंदी के बीच पानी की दरों में इजाफे को सामाजिक संगठन और शहर के लोगों ने अनुचित करार दिया है। दूसरी ओर शहर के लोगों का कहना है कि प्राधिकरण पेयजल आपूर्ति का समय और गुणवत्ता बढ़ाने में नाकाम है, लेकिन हर साल पानी की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं।
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण शहर के लोगों पर लगने वाला जल शुल्क बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। जल शुल्क में चालू दरों के मुकाबले करीब 10 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। इसकी तैयारी हो चुकी है। अगर यह बढ़ोतरी लागू हुई तो 60 वर्ग मीटर भूखंड वाले आवंटियों को 118 रुपये प्रतिमाह जल शुल्क चुकाना पड़ेगा।
अगली बोर्ड बैठक में प्रस्ताव रखेंगे विकास प्राधिकरण के अधिकारी
ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण से मिली जानकारी के मुताबिक पानी की कीमतों में इजाफा करने के लिए अफसरों ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। यह प्रस्ताव प्राधिकरण की अगली बोर्ड बैठक के सामने रखा जाएगा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की 95वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया गया था कि हर साल जल शुल्क में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की जाएगी। उसके तहत इस बार भी 10 प्रतिशत जल शुल्क बढ़ाया जाएगा। यह बढ़ोतरी हर साल पहली अप्रैल से लागू हो जाती है। इस बार कोरोना महामारी के चलते इसे लागू नहीं किया गया है। अब ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की बोर्ड बैठक होने वाली है। इस बैठक में जल शुल्क में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव ले जाने की तैयारी है।
बोर्ड की मंजूरी मिलते ही नई दरें लागू हो जाएंगी
प्राधिकरण के बोर्ड से इस प्रस्ताव पर मुहर लगने के बाद नई दरें लागू कर दी जाएंगी। आवंटियों को जल शुल्क में अब 10 प्रतिशत अधिक पैसा चुकाना होगा। वहीं, जल शुल्क के लिए मकान के क्षेत्रफल को आधार बनाया गया है। इसके तहत आवंटियों से जल शुल्क लिया जाएगा। 60 वर्ग मीटर से लेकर 1,100 वर्ग मीटर तक के मकानों के लिए जल शुल्क तय है। जबकि, इसके ऊपर वाले क्षेत्रफल के भूखण्ड और भवनों से जल शुल्क किलोलीटर की दर से लिया जाता है। अब 1,100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल से बड़े मकानों से 19 रुपये प्रति किलोलीटर की दर से जल शुल्क लिए जाने का प्रस्ताव है।
विकास प्राधिकरण की प्रस्तावित नई दरें इस प्रकार हैं