Noida News (सुमित राजपूत) : सपनों के शहर नोएडा में लोग दूसरे जिलों से आकर काम कर रहे हैं। ऐसे में नोएडा के सेक्टर-51 मेट्रो स्टेशन के नीचे मोमोज का स्टाल लगाने वाली सुषमा की स्टोरी किसी फिल्मी स्क्रीप्ट से कम नहीं है। एक नामी होटल के आउटलेट में बतौर एकाउंटेंट के पद पर काम करने वाली सुषमा नौकरी के साथ साथ शाम को मोमोज का स्टॉल लगाती हैं। मां के गुजर जाने के बाद पापा शादी कराना चाहते थे। किन्तु कुछ अलग कर गुजरने की चाह सुषमा को झांसी से नोएडा खींच लाई। नौकरी करने के साथ मोमोज का स्टॉल का स्टॉल लगा रही है। जिनके मोमोज दिल्ली, नोएडा, ग्रेनो और गाजियाबाद में मेट्रो से आने जाने वाले लोग खाते है और खूब पसंद करते हैं।
झांसी से नोएडा तक का सफर
सुषमा ने बताया कि वो मूलरूप से झांसी की निवासी है और आज से करीब 5 साल पहले किसी घातक बीमारी के कारण उनकी मम्मी की डेथ हो गई। तो पापा चाहते कि सुषमा की शादी करके उनके सिर से ये भर उतर जाए, लेकिन सुषमा ने सोचा कि वो पापा की बात मानती है तो उसकी पढ़ाई जोकि उसने बीकॉम किया है बेकार हो जाएगी, पापा के सिर पर भार न बनकर जिंदगी में कुछ अपना करने की ठान ली यही सोच के साथ सुषमा नोएडा आ गई। जोकि घरवालों को पसंद नहीं आया। दो साल पहले नोएडा आई तो उन्हें काफी दिनों तक जॉब नहीं मिली। उसके बाद रियल स्टेट में उन्होंने जॉब की वो पसंद नहीं आई तो फिर एक दूसरी कंपनी में जॉब की अब अब सुषमा एक बड़े रेस्टोरेंट ( नरूलाज) के आउटलेट में एकाउंटेंट बतौर काम कर रही है। जिसके उन्हें करीब 18 हजार प्रति माह मिलते हैं।
मिस दीदी मोमोज दिल्ली एनसीआर में फेमस
मिस दीदी मोमोज (MISS DIDI MOMOJ) नाम से स्टाल लगा रही सुषमा ने बताया कि सेक्टर 51 मेट्रो स्टेशन के नीचे एक आउटलेट है। जहां वो 10 से 6 जॉब करती हैं उसके बाद वो इसी मेट्रो स्टेशन के नीचे अपनी मोमोज की स्टाल साढ़े 6 बजे से रात 9 बजे तक लगाती हैं। जहां नोएडा, ग्रेनो, गाजियाबाद और दिल्ली के लोगों का आवागवन रहता है। जोकि उनके स्टॉल पर आकर मोमोज खाते हैं। उन्होंने बताया कि हम मोमोज को घर पर ही बनाते हैं और साफ सफाई के साथ मसालों का खास ध्यान रखते हैं। ताकि हमारे कस्टमर का स्वास्थ्य सही रहे। फिलहाल उनके स्टॉल पर वेज, पनीर और चिकन वाले मोमोज मिलते हैं। कुल 35 से 40 प्लेट हर रोज सेल करती हैं। वेज मोमोज की हाफ प्लेट 30, फुल 50 की है तो वहीं पनीर और चिकन की हाफ 40 और फुल 70 रुपये की है। लास्ट में सुषमा कहती हैं कि अभी उनके घरवाले नाराज हैं, लेकिन जब मैं अपने पैरो पर खड़े होकर कुछ बड़ा कर लूंगी तो हो सकता है खुद व खुद उनकी नाराजगी दूर हो जाए। मैं मेहनत करके कमा खा और आगे बढ़ रही हूं, जोकि मुझे नहीं लगता कुछ गलत है।