नोएडा: शिशु अस्पताल में शुरू हुआ 50 बेड का कोविड हॉस्पिटल, गुरुवार को 10 बच्चे कोरोना संक्रमित पाए गए थे

नोएडा | 4 साल पहले | Anika Gupta

Tricity Today | शिशु अस्पताल में शुरू हुआ 50 बेड का कोविड हॉस्पिटल



गौतमबुद्ध नगर में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए शहर के सेक्टर-30 में स्थित सुपर स्पेशलिटी चाइल्ड हॉस्पिटल में बच्चों के लिए 50 बेड का कोविड-19 अस्पताल शुरू किया गया है। हालांकि इस कोविड-19 हॉस्पिटल में सिर्फ 18 साल से कम उम्र के संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाएगा। पिछले साल जब कोरोना वायरस उफान पर था, तब भी इस अस्पताल में कोविड-19 मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई थी। 

एक अधिकारी ने बताया कि यहां चौथे तल पर कोविड अस्पताल बनाया जाएगा। सुरक्षा के लिहाज से इसमें प्रवेश और निकास द्वार अलग से बनाए जाएंगे। ताकि दूसरी बीमारियों का इलाज कराने आए बच्चों और परिजनों को कोरोना संक्रमितों से दूर रखा जा सके। हालांकि हॉस्पिटल में अन्य मरीजों को पहले की तरह ही इलाज की सुविधा मिलती रहेगी। जनपद में कोरोना के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए हॉस्पिटल मैनेजमेंट ने पहले 50 बेड का अस्पताल शुरू करने का फैसला लिया है। अगर जरूरत पड़ी, तो भविष्य में बेड की संख्या बढ़ाई जाएगी। 

पिछले साल भी बनाया गया था हॉस्पिटल
गौतमबुद्ध नगर में गुरुवार को 10 वर्ष से कम उम्र के 10 से ज्यादा बच्चे संक्रमित मिले थे। इन सभी मरीजों को दूसरे कोविड अस्पताल में इलाज के लिए भेजा गया। इस शिशु अस्पताल में बच्चों की बीमारियों से जुड़े 10 से ज्यादा चिकित्सकीय विभाग काम कर रहे हैं। इसलिए माना जा रहा है कि यहां कोविड हॉस्पिटल बनाने से बच्चों का बेहतर इलाज हो सकेगा। पिछले साल भी यहां कोरोना से संक्रमित सभी बच्चे ठीक हुए थे। मरीजों की संख्या कम होने के बाद पिछले साल के अंत में अस्पताल से कोविड केयर की सुविधा हटा दी गई थी।

दूसरे मरीजों का भी चलेगा इलाज
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि कोविड हॉस्पिटल बनाने से दूसरी बीमारियों की ओपीडी और भर्ती मरीजों के इलाज में कोई बाधा नहीं आएगी। क्योंकि कोरोना हॉस्पिटल के लिए अलग से प्रवेश और निकास द्वार बनाया जाएगा। उन्हें सामान्य मरीजों के संपर्क में नहीं आने दिया जाएगा। उनके लिए अलग से लिफ्ट की व्यवस्था की जाएगी। हालांकि यह अस्पताल शुरू होने से स्वास्थ्य कर्मियों की कमी हो सकती है। क्योंकि कोविड हॉस्पिटल में कार्यरत डॉक्टर उस दिन सामान्य मरीजों का इलाज नहीं कर पाएंगे।

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