नोएडा में ठग गैंग का पर्दाफाश : यूपी समेत कई राज्यों के बेरोजगारों से लाखों रुपये ठगे, जानिए कैसे करते थे शिकार

नोएडा | 5 महीना पहले | Junaid Akhtar

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Noida News : नोएडा में थाना सेक्टर 63 पुलिस ने बेरोजगार लोगों को जॉब के सपने दिखाकर ठगी करने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गैंग के सरगना समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। गैंग में शामिल एक महिला अभी फरार है। पुलिस का दावा है कि पकड़े गए आरोपी एविएशन सेक्टर में नौकरी का झांसा देकर यूपी व अन्य राज्यों के बेरोजगार युवकों से ठगी करते हैं।  

बीए, एलएलबी है सरगना 
एसीपी दीक्षा सिंह ने बताया कि हाल ही में एक पीड़ित ने ट्रेनिंग के बाद फर्जी प्रमाण पत्र देकर लोगों को ठगने वाले गिरोह के सदस्यों के बारे में अहम जानकारी साझा की थी। पुलिस टीम ने पीड़ित के बताए पते पर दबिश देकर राजस्थान के डीग निवासी भगवंता सिंह व दिल्ली निवासी हर्ष परिहार को गिरफ्तार कर लिया। इनकी साथी श्वेता मिश्रा अभी फरार है। बीए, एलएलबी पास भगवंता सिंह गिरोह का सरगना है। जबकि हर्ष परिहार ऑफिस में बैठकर सिर्फ कॉल करता था। इनके कब्जे से ठगी से अर्जित 7 लाख 61 हजार 486 रुपये की रकम भी फ्रीज कर दी है। गिरोह में शामिल अन्य आरोपियों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है।

1.20 लाख रुपये प्रतिमाह पर लिया था ऑफिस 
कंपनी में सीईओ के पद पर श्वेता मिश्रा कार्यरत हैं। इन लोगों ने ऑफिस के लिए सेक्टर-63 के एच ब्लॉक में 1.20 लाख रुपये प्रतिमाह किराए पर जगह ले रखी थी। इन लोगों ने एसआरबीएस इंडियन एयरवेज के नाम से ट्रैवल एंड टूरिज्म के लिए रजिस्टर्ड कंपनी खोली थी, लेकिन असली काम बेरोजगार लोगों को ठगना था। दयाल बाग, आगरा की डिंपल सागर ने इनके खिलाफ शिकायत की थी। उसने बताया था कि इन लोगों ने एविएशन सेक्टर में नौकरी दिलाने के नाम पर उसके साथ ठगी की है। आरोपियों ने झांसा देकर फर्जी ऑफर लेटर जारी किए और फर्जी ट्रेनिंग करवाई। प्रारंभिक पूछताछ में दोनों आरोपियों ने बताया कि अब तक वे सौ से ज्यादा बेरोजगार युवकों को ठग चुके हैं।

ऐसे बनाते थे बेरोजगार युवाओं को निशाना 
गिरोह का सरगना और अन्य सदस्य ऐसे बेरोजगार लोगों को टारगेट करते थे, जो एविएशन सेक्टर में नौकरी की तलाश में होते थे। आरोपी इंटरनेट से ऐसे बेरोजगार लोगों का डाटा लेकर बेरोजगार युवकों को कॉल करते थे। नौकरी लगने पर बेरोजगार युवकों को कंपनी की ओर से 40 से 50 हजार रुपये प्रतिमाह वेतन, आवास, भोजन, मेडिकल, पीएफ, यात्रा आदि का आश्वासन दिया जाता था। विश्वास हासिल करने के लिए आरोपी ई-मेल के जरिए कंपनी की ओर से तैयार फर्जी ऑफर लेटर भेजते थे। ऑफर लेटर मिलने के बाद बेरोजगार व्यक्ति को यकीन हो जाता था कि उसकी नौकरी लग गई है। इसके बाद वे उससे एविएशन सर्टिफिकेट और अन्य शैक्षणिक दस्तावेज मांगते थे। इसके बाद एविएशन सर्टिफिकेट के लिए पैसे ले लेते थे। पूछताछ में पुलिस को पता चला कि गिरोह के सरगना ने ठगी के लिए दो और फर्जी कंपनियां रजिस्टर्ड कर रखी थीं। इनके नाम बीआरडी इंस्टीट्यूट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और ईगल एविएशन हैं। 

एडमिशन के नाम पर वसूलते थे 10 हजार रुपये 
भगवंता ने पूछताछ में बताया कि जब बेरोजगार व्यक्ति एविएशन सर्टिफिकेट नहीं दे पाता था तो वे उससे कहते थे कि अगर वह जल्दी से एविएशन कोर्स कर ले तो उसे एयरपोर्ट पर नौकरी मिल जाएगी। इसके लिए व्हाट्सएप के जरिए कई संस्थानों के लिंक, मोबाइल नंबर और गूगल सर्च के स्क्रीनशॉट भेजे जाते थे। साथ ही जल्दी एडमिशन दिलाने की बात कहते थे और एनरोलमेंट नंबर मांगते थे। इसके बाद एडमिशन के नाम पर उससे 10 हजार रुपये जमा करवा लेते थे। यह सब प्लान के मुताबिक होता था।

युवाओं को डरा-धमकाकर भी करते थे वसूली 
अप्रासंगिक सवाल पूछकर निकाल देते थे फर्जी कंपनियों में एडमिशन देने के बाद आरोपी व्यक्ति से संस्थानों की एनओसी जल्द भेजने को कहते थे, ताकि उसकी नौकरी सुरक्षित रहे। जब वह एनओसी मांगता था तो संस्थान वाले उससे पूरी रकम जमा कराने की बात कहकर 50 से 60 हजार रुपये वसूल लेते थे। इसके बाद उसे इंटरव्यू के लिए बुलाते थे और अप्रासंगिक सवाल पूछकर फेल कर देते थे। ठगी का शिकार हुए युवा जब अपने पैसे वापस मांगते थे तो उन्हें झूठे केस में फंसाने के लिए वकीलों के जरिए उनके घर धमकी भरे नोटिस भिजवाते थे। वकीलों से मिलीभगत करके ठगी का शिकार हुए युवाओं को कानूनी नोटिस भिजवाए जाते थे और कंपनी को नुकसान पहुंचाने के एवज में पांच लाख रुपये की मांग की जाती थी। इसके बाद लोग डर जाते थे और शिकायत नहीं करते थे।

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