नोएडा में मरीजों की जान से खिलवाड़ : जिला अस्पताल में बांटी जा रही दवा का सैंपल फेल, जानिए किस पर होगा एक्शन

नोएडा | 1 महीना पहले | Junaid Akhtar

Google Image | सेक्टर -39 स्थित जिला अस्पताल



Noida News : नोएडा के सेक्टर -39 स्थित जिला अस्पताल में इन दिनों मरीजों को एक दवा धड़ल्ले से बांटी जा रही थी। लेकिन अब जांच में दवा का सैंपल फेल हो गया है। जिसके बाद से सवाल उठ रहा है कि आखिर सैंपल की जांच पहले क्यों नहीं की गई। यह लापरवाही सरासर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ है।

कंपनी के खिलाफ होगी कार्रवाई 
बताया जा रही है कि लो इम्पैक्ट एंटीबायोटिक दवा का सैंपल फेल हो गया है। यह दवा इंदौर की मॉडर्न लैब द्वारा जिला अस्पताल को सप्लाई की गई थी। लखनऊ स्थित सेंट्रल लैब की जांच में यह घटिया पाई गई है। शनिवार को रिपोर्ट मिलने के बाद बचा स्टॉक जब्त कर इसका वितरण बंद कर दिया गया है। वहीं अस्पताल प्रबंधन कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करेगा। 

तीन दवाओं का सैंपल भेजा था जांच को
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि जिला अस्पताल के स्टोर से एंटीबायोटिक एमोक्सिसिलिन व पोटैशियम क्लैवुलैनेट आईपी 625 एमजी समेत तीन दवाओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए थे। रिपोर्ट आने के बाद एफएसडीए ने इसकी जानकारी जिला अस्पताल प्रबंधन को दी। एफएसडीए की ओर से स्टोर प्रभारी चीफ फार्मासिस्ट को नोटिस भी जारी किया गया है। 

8000 टैबलेट थी मंगवाई
जानकारी के अनुसार सैंपल लिए जाने से कुछ दिन पहले ही यह दवा जिला अस्पताल को सप्लाई की गई थी। इसके लिए करीब 8000 टैबलेट मंगवाई गई थी। करीब डेढ़ माह से यह दवा मरीजों को बांटी भी जा रही है। शनिवार शाम को रिपोर्ट आने के बाद इसका वितरण बंद कर दिया गया। स्टॉक जब्त कर लिया गया है। इसे वापस कंपनी को भेजा जा रहा है। 

पोटेशियम क्लैवुलैनेट की मात्रा मिली काम
जिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. रेनू अग्रवाल का कहना है कि रिपोर्ट में पाया गया है कि एमोक्सिसिलिन मानक के अनुसार 90 फीसदी है। दवा को असरदार बनाने के लिए इसमें शामिल पोटेशियम क्लैवुलैनेट की मात्रा 90 फीसदी की जगह 81 फीसदी पाई गई है। इससे मरीजों को कोई नुकसान नहीं होगा। इससे सिर्फ दवा का असर कम होता है। हमारा लगातार प्रयास है कि मरीजों को असरदार दवाएं मिलें। अस्पताल प्रबंधन कंपनी के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई भी करेगा, ताकि भविष्य में घटिया दवाओं की आपूर्ति न हो। 

कंपनी नोटिस भेजकर कार्रवाई की शुरू
ड्रग इंस्पेक्टर जय सिंह ने बताया कि सरकारी अस्पतालों से दवाओं के सैंपल लेना और उन्हें जांच के लिए भेजना एक प्रक्रिया है। इसमें ऐसा कोई नियम नहीं है कि जिस दवा का सैंपल लिया गया है, उसे सीज कर दिया जाए। इससे मरीजों को दवा का वितरण बंद नहीं होता है। हमारा प्रयास है कि जांच रिपोर्ट जल्दी मिले। जांच रिपोर्ट मिलते ही तत्काल जिला अस्पताल को सूचना भेज दी गई। कंपनी को भी नोटिस भेजकर कार्रवाई की जा रही है।

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