Noida : सुपरटेक बिल्डर के ट्विन टावर बारूद के जरिए जमींदोज होने के बाद आसपास के रहने वाले लोगों को वायु प्रदूषण के कारण सांस लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था लेकिन सोमवार को नोएडा में हुई तेज बारिश के बाद पूरे शहर ने राहत की सांस ली हैं। बारिश होने के बाद मंगलवार की सुबह मौसम में बदलाव हुआ है। काफी हद तक बारिश ने धूल को नियंत्रित किया है। हालांकि मौसम विभाग ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि सोमवार को दिल्ली-एनसीआर में बारिश हो सकती है। नोएडा प्राधिकरण के तरफ से भी धूल को हटाने के लिए कई टैंकरों से पानी का छिड़काव करवाया जा रहा हैं।
लोगों को मिली राहत
रविवार की शाम से लोग अपने अपने घरों में वापस लौटने लगे थे। लेकिन ट्विन टावर में धमाके के बाद सोसायटी के भीतर धूल से भर गया। सड़कों से लेकर पेड़ों तक धूल की परत जमी हुई थी। लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। यहां पर लोग मास्क पहनकर घूमने को मजबूर दिखे। इन सब समस्याओं को नियंत्रण करने के लिए प्रशासन के तरफ से पानी की बौछार लगातार करवाया जा रहा हैं साथ प्राधिकरण के कर्मचारी साफ सफाई में जुटे हुए हैं। दूसरी तरफ सोमवार को हुई भीषण बारिश ने शहर के वातावरण को पहले की तरह कर दिया है।
अब तक 45 लाख लीटर पानी का उपयोग हो चुका
सीईओ रितु माहेश्वरी ने बताया कि सुपरटेक एमराल्ड और एटीएस विलेज हाउसिंग सोसायटी को धूल मुक्त बनाने के लिए अब तक 450 टैंकर पानी का प्रयोग हो चुका है। यह सिलसिला अभी जारी है। सीईओ ने कहा कि जब तक धूल पूरी तरह से साफ नहीं होती साफ-सफाई, स्प्रिंकलर और स्मॉग गन का प्रयोग जारी रहेगा। प्राधिकरण ने बताया कि ब्लास्ट के बाद 350 टैंकर और सोमवार को सुबह से 150 टैंकर पानी साइट और आसपास डाला जा चुका है। ये पानी स्मॉग गन में भी प्रयोग किया जा रहा है। प्राधिकरण ने बताया कि एक टैंकर की क्षमता करीब 10 हजार लीटर की है। ऐसे में 45 लाख लीटर पानी प्रयोग हो चुका है।
दोनों सोसाइटी में 100 से ज्यादा कर्मचारी तैनात
सीईओ ने बताया कि सोमवार सुबह प्राधिकरण के 100 से ज्यादा सफाई कर्मी सुपरटेक एमराल्ड पहुंचे। उन्होंने वहां वाटर टैंकर से साफ-सफाई की और धूल की परतों को हटाया। इसके बाद नालों और नालियों की साफ -सफाई की गई। वहीं, प्राधिकरण के पार्क, ग्रीन बेल्ट और सेंट्रल वर्ज में वाटर स्प्रिंकलर लगाए गए हैं।
दोनों टावर बनाने में आया करीब 300 करोड़ रुपए का खर्च
सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट में एपेक्स और सियान टावर को बनाने में करीब 300 करोड़ रुपए खर्च आया है, लेकिन इसके लिए गलत जगह का चयन कर लिया। निवासियों की आपत्तियों के बावजूद पैसे के बल पर लगातार इन टावरों की ऊंचाई बढ़ती रही थी और इन्हें बनाने में करोड़ों रुपए के खनिज और लाखों घंटों की मेहनत की गई थी। अब इन टावरों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ध्वस्त किया जा चुका है। जिस कारण इसमें प्रयोग किया गया खनिज और लोगों की मेहनत सब बेकार हो गई है।