Bjp Celebrated Fake Birthday Of Shyama Prasad Mukherjee In Greater Noida
ग्रेटर नोएडा में भाजपा की हास्यास्पद चूक : श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिन गलत तारीख पर मना दिया, सांसद विजयपाल तोमर और एमएलसी श्रीचंद शर्मा भी शामिल रहे
Tricity Today | भाजपा ने मनाया श्यामा प्रसाद मुखर्जी का फर्जी जन्मदिवस
Greater Noida News : भाजपा में अपने आपको बड़े-बड़े विद्वान कहने वाले तब अज्ञानी दिखाई दिए, जब श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस गलत तारीख पर मना दिया। दरअसल, ग्रेटर नोएडा में 30 जून 2024 को एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में राज्यसभा सांसद विजयपाल तोमर और विधान परिषद सदस्य श्रीचंद शर्मा भी शामिल हुए। यह कार्यक्रम भाजपा ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस मनाने के लिए आयोजित किया था। इस कार्यक्रम में जिले के कई बड़े भाजपा नेता, श्यामा प्रसाद मुखर्जी को उनके फर्जी जन्मदिवस माला चढ़ाने पहुंचे। हम इसको फर्जी कार्यक्रम इसलिए कह रहे है क्योंकि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिन 6 जुलाई को है।
श्रीचंद शर्मा तो खुद शिक्षण संस्था के मालिक
इतिहास और गूगल पर इसे साफतौर पर देखा जा सकता है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस 6 जुलाई को है और उनका बलिदान दिवस 23 जून को था। अब ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिरकार भाजपा ने आज 30 जून 2024 को कैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस मना दिया। हैरानी की बात तो यह है कि कार्यक्रम में एमएलसी श्रीचंद शर्मा भी पहुंचे, जो खुद शिक्षण संस्था चलाते है।
सोशल मीडिया पर फोटो वायरल
अब कार्यक्रम के फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे है। जिसमें दिख रहा है कि भाजपा ने यह कार्यक्रम आयोजित किया। पीछे लगे बैनर पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्मदिवस लिखा गया है। मंच पर भाजपा के जिलाध्यक्ष गजेंद्र मावी और अन्य वो नेता हैं, जो अपने आपको विद्वान से कम नहीं समझते।
काैन थे डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी
आपको बता दें कि डॉ.श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 और मृत्यु 23 जून 1953 को हुई। वह एक महान शिक्षाविद्, चिन्तक और भारतीय जनसंघ के संस्थापक थे। ब्रिटिश सरकार की भारत विभाजन की गुप्त योजना और षड्यन्त्र को कांग्रेस के नेताओं ने अखण्ड भारत सम्बन्धी अपने वादों को ताक पर रखकर स्वीकार कर लिया। उस समय डॉ.मुखर्जी ने बंगाल और पंजाब के विभाजन की मांग उठाकर प्रस्तावित पाकिस्तान का विभाजन कराया। जिससे उन्होंने आधा बंगाल और आधा पंजाब खण्डित भारत के लिए बचा लिया। महात्मा गान्धी और सरदार पटेल के अनुरोध पर वे भारत के पहले मंत्रीमंडल में शामिल हुए। उन्हें उद्योग जैसे महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गयी। संविधान सभा और प्रान्तीय संसद के सदस्य और केन्द्रीय मंत्री के नाते उन्होंने शीघ्र ही अपना विशिष्ट स्थान बना लिया, लेकिन उनके राष्ट्रवादी चिन्तन के चलते अन्य नेताओं से मतभेद बराबर बने रहे। राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मंत्रीमंडल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनाई जो उस समय विपक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ।