Big Problem In The Demolition Of Twins Tower Hundreds Of Liters Of Water From The Drain Entered The Basement The Explosion Could Not Happen Without Coming Out
नोएडा : ट्विन्स टावर ध्वस्तीकरण में आई बड़ी समस्या, नाले का पानी बेसमेंट में घुसा, बिना निकाले नहीं हो सकता विस्फोट
Noida News : नोएडा के ट्विन्स टावर में काफी समय तक कोई नहीं घुसा था, जिसकी वजह से ट्विन्स टावर के बेसमेंट सैकड़ों लीटर पानी भर गया। यह काफी आसपास की सोसाइटी और नाले का है। जब तक बेसमेंट से पानी नहीं निकाला जाएगा, तब तक ट्विन्स टावर पूरी तरीके से ध्वस्त नहीं होगा। अब ट्विन्स टावर को तोड़ने से बेसमेंट में मौजूद सैकड़ों लीटर पानी को निकाला जा रहा है। इसके लिए मशीनें लगाई गई है। इसका कार्य ट्विन्स टावर तोड़ने वाली एजेंसी कर रही है।
सोसाइटी और नाले का पानी घुसा
ट्विन्स टावर ध्वस्तीकरण करने का कार्य काफी तेजी पर है। दक्षिण अफ्रीका के एजेंसी को इसका जिम्मा मिला है। आगामी 14 मई तक ट्विन्स टावर की 43 मंजिला इमारत को ध्वस्त किया जाना है। जिसके लिए विस्फोटक सामग्री का इस्तेमाल किया जाएगा। अब इन टावरों को तोड़ने के लिए एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। ट्विन्स टावर के बेसमेंट में बराबर से गुजर रहे नाले का गंदा पानी घुस गया है।
बिना पानी निकले नहीं हो सकता विस्फोट
ट्विन्स टावर के बेसमेंट में आसपास की सोसाइटी और नाले का गंदा पानी अंदर घुस गया है। यह पानी बेसमेंट में भर गया है। अब इस पानी को मशीन के द्वारा निकाला जा रहा है। एजेंसी का कहना है कि जब तक पानी पूरी तरीके से बाहर नहीं निकल जाएगा और बेसमेंट सुख नहीं जाएगा, तब तक ट्विन्स टावर को पूरी तरीके से ध्वस्त नहीं किया जा सकता।
60 मंजिल ऊंचा धूल का गुबार उठेगा
आपको बता दें कि इमारतों को ध्वस्त करने वाली कंपनी एक्सजीक्यूट प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक और ध्वस्तीकरण विशेषज्ञ आनंद शर्मा ने बताया कि जिस समय विस्फाेटक से दोनों टावरों को गिराया जाएगा, उस समय मलबे से करीब 60 मंजिल ऊंचा धूल का गुबार उठेगा। जिससे आसपास में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा बढ़ जाएगा, लेकिन इमारतों को इससे बचाने के लिए वाटर जैट, फायर टेंडर और फव्वारों का इंतजाम किया जाएगा। इसको लेकर फायर विभाग ने एनओसी भी दे दी है।
मलबे के क्या होगा
इमारत के ध्वस्तीकरण के दौरान जो मलबा निकलेगा, उसे री-साइकिल किया जा सकता है। यदि री-साइकिल किया जाता है तो एनजीटी के सभी मानकों का पालन इनको करना होगा। पर्यावरणविद का मानना है कि री-साइकिल के लिए एक प्लांट आसपास ही लगाया जाए। सेक्टर-82 में लगे प्लांट तक ले जाने में समस्या के साथ पर्यावरण प्रदूषण का खतरा भी ज्यादा होगा।