ग्रेटर नोएडा में बच्चों की मौत से गांव में पसरा मातम : घटना से दो घंटे पहले ही पहुंचे थे नानी के घर, गमगीन माहौल में किए सुपुर्द ए खाक

Tricity Today | घटनास्थल की फोटो



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा वेस्ट के खोदना कलां (बड़ा खोदना) गांव में निर्माणाधीन मकान में दीवार और छत गिरने से तीन मासूमों की मौत हो गई और पांच बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए थे। शुक्रवार रात को हुई इस घटना के बाद से अभी तक गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। आसपास के गांवों में भी यह दुखद हादसा लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोग पीड़ित के घर पहुंचकर उन्हें सांत्वना दे रहे हैं। 

दिल्ली के मुस्तफाबाद से पहुंचे थे बच्चे 
हादसे में मरने वाले दो बच्चे चार वर्षीय अहद और दो वर्षीय अलफिजा उर्फ अलफिदा अपनी मां शबनम के साथ दो घंटे पहले ही दिल्ली के मुस्तफाबाद स्थित ससुराल से मायके पहुंचे थे। जबकि मृतक आठ वर्षीय आदिल की मां निसार एक सप्ताह पहले ही मायके आई थी और शुक्रवार को उसे वापस ससुराल जाना था। पीड़िता के चचेरे भाई आबिद ने बताया कि निसार ने उसके पति शेर खान को भी ससुराल वापस जाने के लिए फोन किया था। पति रास्ते में ही था, तभी उसे सूचना मिली कि चचेरी बहन शबनम अपने मायके आ रही है। निसार भी शबनम से मिलने के लिए रुक गया। अभी दो घंटे ही बीते होंगे कि मकान ढह गया और अहद, अलफिजा और आदिल समेत आठ बच्चे दब गए।

तीनों बच्चों को गमगीन माहौल में दफनाया गया
इस घटना में अहद, अलफिजा और आदिल की मौत हो गई। घटना के परिजनों में चीख-पुकार मची हुई है। शनिवार को बेहद गमगीन माहौल में तीनों बच्चों को सुपुर्द ए खाक कर दिया। इस दौरान आसपास के गांव के लोग भी मौजूद रहे। बताया जा रहा है कि इस दौरान पुलिस प्रशासन के अधिकारी भी मौजूद थे। 

कम बजट में मकान बनाना पड़ा भारी 
बताया जा रहा है कि मकान के निर्माण में लापरवाही बरती गई। महज चार इंच चौड़ी दीवार पर दो मंजिला मकान बन रहा था। दीवार में पिलर भी नहीं लगाए गए थे। मृतक बच्चों की मां शबनम के पिता सगीर अपना मकान बनवा रहे थे। मकान की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कम बजट में मकान बन जाए, इसके लिए परिवार के लोग मजदूरी करते थे। छत पर लगे गार्डर पर लिंटल की जगह पत्थर से प्लास्टर कर दिया गया था। 

सीढ़ियां तोड़ते समय आई दरारें और ढह गया मकान 
ऊपर बने कमरों के लिए सीढ़ियां भी बनाई गई थीं, लेकिन सगीर को सीढ़ियों को लेकर कुछ संदेह था। उसने सीढ़ियों को तोड़कर दोबारा बनाना ही बेहतर समझा। ग्रामीणों ने बताया कि कंक्रीट तोड़ने वाले हथौड़े (लिंटल तोड़ने वाली मशीन) और हथौड़े की मदद से सीढ़ियों के लिंटल को तोड़ा जा रहा था। ग्रामीणों का दावा है कि सीढ़ियां तोड़ते समय दरारें आ गईं और मकान ढह गया।

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