गौतमबुद्ध नगर के लिए बड़ी खबर : कृषि भूमि अधिग्रहण का दायरा बढ़ाने की तैयारी, जिले को कानून में विशेष छूट मिलेगी

नोएडा | 3 महीना पहले | Jyoti Karki

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Noida News : गौतमबुद्ध नगर जिले के लिए कृषि भूमि अधिग्रहण के नए मानदंड तैयार किए जा रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों से अलग होंगे। राज्य मुख्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार गौतम बुद्ध नगर में औद्योगीकरण के लिए कृषि भूमि अधिग्रहण की वर्तमान अधिकतम सीमा को बढ़ाने पर विचार कर रही है। मुख्य सचिव स्तर तक यह तैयारी कर ली गई है। पूर्ववर्ती अखिलेश यादव के वक्त बनाए गए नियमों में व्यापक बदलाव करने की तैयारी चल रही है। गौतम बुद्ध नगर के लिए यह प्रस्तावित अपवाद विकास परियोजनाओं और विशेष रूप से जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के लिए पर्याप्त भूमि सुनिश्चित करने का उद्देश्य है।

मौजूदा कानून क्या है
राज्य का मौजूदा कानून किसी भी जिले में औद्योगिक उद्देश्यों के लिए कुल कृषि या फसली भूमि के 5% से अधिक के अधिग्रहण पर रोक लगाता है। ऐसे में यह सीमा गंभीर रूप से भूमि की कमी पैदा कर रही है। इसके कारण जेवर हवाई अड्डे का विस्तार और विकास प्रभावित हो रहा है। लिहाजा, इस सीमा को गौतम बुद्ध नगर के लिए बढ़ाया जा सकता है। एक सप्ताह पहले मुख्य सचिव स्तर पर इस संबंध में एक बैठक आयोजित की गई थी। राजस्व विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "जेवर हवाई अड्डे के निर्माण में भूमि अधिग्रहण अधिनियम के कारण परेशानी उत्पन्न हो रही है। जरूरत के लिए अधिक भूमि की उपलब्धता नहीं है। एक और समस्या आई हैं। यूपी के किसी जिले में एक विकास परियोजना के लिए कुल कृषि भूमि के 5% से अधिक की खरीद पर रोक है।

क्या बदलाव करने की तैयारी
उन्होंने आगे कहा, "गौतम बुद्ध नगर के लिए भूमि अधिग्रहण सीमा को वर्तमान 5% से बढ़ाकर 10% करने का प्रस्ताव है।" रेवेन्यू डिपार्टमेंट के इस अफसर ने स्पष्ट किया कि यह प्रस्ताव केवल इस जिले के लिए है, जो पहले से ही कृषि भूमि में कम और औद्योगीकरण में आगे है। उत्तर प्रदेश के बाक़ी 74 ज़िलों में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कुल मिलाकर राज्य स्तरीय क़ानून में गौतम बुद्ध नगर को अपवाद स्वरूप शामिल किया जाएगा। अधिकारी ने यह भी बताया, "हालांकि, गाजियाबाद जिले में भी इसी तरह की स्थिति उत्पन्न हो रही है, जिसके लिए सरकार को जल्द ही नियमों में बदलाव करना पड़ सकता है।"

यह बदलाव क्यों जरूरी
नीति में प्रस्तावित समायोजन इस बात को रेखांकित करता है कि राज्य सरकार किस तरह से भूमि की कमी की समस्या को दूर कर रही है। भूमि की कमी प्रमुख बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में बाधा डाल सकती है। क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले जेवर हवाई अड्डे के लिए पर्याप्त भूमि की आवश्यकता है, जिसके लिए यह असाधारण उपाय आवश्यक है। अधिकारी ने कहा, "यह नीतिगत परिवर्तन कृषि भूमि को संरक्षित करने और उत्तर प्रदेश में आर्थिक विकास और बुनियादी ढांचे के सुधार के लिए महत्वपूर्ण औद्योगिक स्थानों की बढ़ती मांग को पूरा करने के बीच संतुलन बनाने की आवश्यकता को पूरा करता है।" यह उल्लेखनीय है कि जुलाई 2015 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने किसी भी जिले में कृषि भूमि के अधिग्रहण की अधिकतम सीमा को वहां के कुल फसल बुवाई क्षेत्र के 5% तक निर्धारित किया था। यह उनकी सरकार के दिसंबर 2014 के फैसले में संशोधन था, जिसमें पूरे राज्य के लिए सीमा 20% निर्धारित की गई थी।

गौतमबुद्ध नगर को बड़ा लाभ होगा
इस प्रस्तावित नीतिगत बदलाव से गौतम बुद्ध नगर में विकास परियोजनाओं, विशेषकर जेवर हवाई अड्डे के निर्माण को गति मिलने की उम्मीद है। हालांकि, यह देखना होगा कि कृषि भूमि संरक्षण और औद्योगिक विकास के बीच कैसे संतुलन बनाया जाता है। आपको बता दें कि गौतमबुद्ध नगर में तीन विकास प्राधिकरण नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी हैं। नोएडा प्राधिकरण के दायरे में जमीन पूरी तरह खत्म हो चुकी है। ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण भी इसके लिए आरक्षित इलाके में 50 प्रतिशत से ज्यादा जमीन का अधिग्रहण कर चुका है। अब केबल यमुना प्राधिकरण के दायरे में ही कृषि भूमि का बड़ा क्षेत्रफल उपलब्ध है। कुल मिलाकर नीति में इस संशोधन का सबसे बड़ा फ़ायदा यमुना प्राधिकरण को मिलेगा।

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