खास खबर : साढ़े 17 साल पहले हुआ था नोएडा में पहला अपहरण, पुलिस ने ऐसे बचाई थी एडोब के सीईओ के बेटे की जान

नोएडा | 4 महीना पहले | Mayank Tawer

Tricity Today | नोएडा अनंत गुप्ता अपहरण मामला



Noida News : नोएडा शहर में पिछले कुछ महीनो के दौरान अपहरण और हत्या के मामले काफी ज्यादा बढ़ गए हैं। पहले बच्चों का अपहरण होता है और फिर उसके बाद उनकी हत्या हो जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि जिले (गौतमबुद्ध नगर) में सबसे पहले किसका अपहरण हुआ था और कब हुआ था। आपको जानकर हैरानी होगी कि नोएडा नहीं बल्कि इंटरनेशनल कंपनी एडोब के सीईओ के बेटा का सबसे पहले अपहरण हुआ था। उस मामले में पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया। जिनमें से तीन लोगों को उम्र कैद की सजा हुई और चार लोगों को कोर्ट ने बरी कर दिया था।

13 नवंबर 2006 को हुआ था अपहरण
एडोब के सीईओ नरेश चंद गुप्ता के बेटे अनंत गुप्ता का अपहरण 13 नवंबर 2006 को हुआ था। अनंत गुप्ता का अपहरण उस समय हुआ, जब वह अपनी नौकरानी सीमा के साथ स्कूल बस में चढ़ने के लिए जा रहा था। घर से करीब 50 मीटर की दूरी पर मदर डेयरी कियोस्क के पास से बदमाशों ने अनंत गुप्ता का अपहरण किया। 

कैसे हुआ अपहरण
अनंत गुप्ता का अपहरण करने के लिए मुख्य आरोपी छत्रपाल समेत 2 लोग बाइक पर आए थे। बदमाशों ने नौकरानी के हाथ से अनंत को छीन लिया और भाग गए। इस मामले अनंत की मां ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तत्काल मामले को गंभीरता से लिया। 

फिरौती में मांगे 50 लाख रुपये
अपहरण के बाद आरोपी छत्रपाल ने एडोब के सीईओ नरेश चंद गुप्ता के घर पर कॉल किया। छत्रपाल ने नरेश चंद गुप्ता के घर के बाहर गार्ड को कॉल किया और घर की स्थिति के बारे में पूछा। उस दौरान आरोपी छत्रपाल ने गार्ड को पुलिस अफसर बताया था। उसके बाद छत्रपाल ने 13 नवंबर 2006 की ही शाम को रेश चंद गुप्ता के घर कॉल करने 50 लाख रुपये की फिरौती मांगी थी। इस घटना के वक्त नरेश चंद गुप्ता भारत में नहीं थे, लेकिन फिरौती की बात सुनने के बाद वह वापस भारत लौट आए थे।

पुलिस ने कैसे बदमाशों को दबोचा
आरोपी छत्रपाल और उसके साथियों ने फिरौती की रकम को मथुरा के रेलवे स्टेशन के किनारे एक सुनसान इलाके में मांगा था। इसके बाद नरेश चंद्र गुप्ता के परिवार ने फिरौती की राशि को एक बैग ने रखकर दे दिया था। उसके बाद जब छत्रपाल अपने साथी बदमाशों के साथ लौट रहा था तो काकोर इलाके में सलेमपुर के जंगलों में भारी पुलिस बल ने उनको घेर लिया। जिसकी वजह से बदमाशों ने बच्चे को छोड़ दिया। 

कोर्ट ने सुनाया था यह फैसला
पुलिस ने छत्रपाल को 19 नवंबर 2006 को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन वह 4 फरवरी 2008 को अदालत की सुनवाई के दौरान पुलिस हिरासत से भाग गया था। उसके बाद उसे 3 अप्रैल 2008 को फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में छत्रपाल के साथ पवन और जितेंद्र उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके अलावा राम दयाल, संतोष, वीर सिंह और सुनील कुमार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। इस अपहरण मामले में कुल 21 गवाहों से पूछताछ हुई थी।

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