भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत

भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत

भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत पहुंचे त्रिवेंद्र सिंह रावत

Google Image | त्रिवेंद्र सिंह रावत

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने दो पत्रकारों द्वारा उनके ऊपर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के नैनीताल उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ बुधवार को उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की है। पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के गौ सेवा आयोग के प्रमुख के रूप में एक व्यक्ति की नियुक्ति में मदद के एवज में रावत के रिश्तेदारों के खाते में पैसा जमा कराया गया था।

इस्तीफे की कांग्रेस की मांग के बीच रावत ने अपने वकील दिव्यम अग्रवाल के माध्यम से उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की। वकील ने हालांकि, फैसले को चुनौती देने के आधार का अभी खुलासा नहीं किया है। उच्च न्यायालय का फैसला दो पत्रकारों उमेश शर्मा और शिव प्रसाद सेमवाल- द्वारा दायर दो अलग-अलग याचिकाओं पर आया, जिसमें उन्होंने इस साल जुलाई में अपने खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया था।

उमेश शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी एक फेसबुक पोस्ट के सिलिसले में दर्ज की गई थी जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि 2016 में एक व्यक्ति को झारखंड के गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनावाने में मदद के लिए झारखंड से अमृतेश चौहान नाम के एक व्यक्ति ने नोटबंदी के बाद हरेंद्र सिंह रावत और उनकी पत्नी सविता रावत के बैंक खाते में पैसे जमा कराए थे जो उस समय झारखंड के भाजपा प्रभारी रहे एवं वर्तमान में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कथित तौर पर रिश्तेदार हैं। सेवानिवृत्त प्रोफेसर हरेंद्र ने देहरादून में उमेश शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि वह उन्हें ब्लैकमेल कर रहे हैं।

प्राथमिकी रद्द करते हुए उच्च न्यायालय ने शर्मा द्वारा मुख्यमंत्री रावत के खिलाफ लगाए गए आरोपों की सीबीआई जांच कराने का आदेश दिया था। शीर्ष अदालत ने 16 अक्टूबर को शर्मा द्वारा अलग से दायर की गई उस याचिका को खारिज कर दिया था। जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ लंबित तीन आपराधिक मामलों को इस आधार पर देहरादून से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था कि रावत सरकार द्वारा उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। इसने टिप्पणी की थी कि शर्मा की ''पत्रकारिता गतिविधि की ''विश्वसनीयता पर खुद उनकी स्टिंग ऑपरेशन टीम के सदस्य ने सवाल उठाया था।

शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया था कि शर्मा पर उत्तराखंड में 17, उत्तर प्रदेश में चार, पश्चिम बंगाल में पांच और दिल्ली में दो मामले चल रहे हैं जिनमें से एक सीबीआई जांच के दायरे में है। इसके अलावा एक मामला झारखंड के रांची में चल रहा है। नैनीताल उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ आरोपों की प्रकृति पर विचार करते हुए सच को सामने लाना उचित होगा। यह राज्य के हित में होगा कि संदेह दूर हो। इसलिए मामले की जांच सीबीआई करे।

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