ग्रेटर नोएडा में अमित राठौर हत्याकांड : पुलिस के हाथ लगा जैकपॉट, बैंकों को 100 करोड़ का चूना लगाने वाले गैंग का पर्दाफाश

Tricity Today | पुलिस की गिरफ्त में आरोपी



Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में बैंक एजेंट अमित कुमार राठौर की हत्या के खुलासे के बाद जांच कर रही थाना दादरी पुलिस ने एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश किया। अमित राठौर भी इस गैंग का सदस्य था। पुलिस ने इस मामले में एचडीएफसी बैंक मैनेजर के पति समेत दो लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस का दावा है कि बैंक मैनेजर ने अपने पति और अन्य लोगों के साथ मिलकर करीब एक दर्जन से ज्यादा बैंकों को 100 करोड़ रुपये का चूना लगाया है। आरोपियों ने पहले फर्जी कंपनी बनाई, फिर फर्जी दस्तावेज तैयार कर लोन के नाम पर बैंकों से करोड़ों रुपये लेकर हड़प लिए। 

जानिए कैसे करते थे वारदात 
डीसीपी साद मिया खान ने बताया कि मेफर्स फैशन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अमित कुमार राठौर के नाम से रजिस्टर्ड है। रामानंद उर्फ रमेश, सचिन तंवर, अनुज यादव, हिमांशु, ओमप्रकाश, गोविंद, विशाल और उसकी पत्नी नेहा जो एक बैंक में मैनेजर है, मिलकर गिरोह चला रहे थे। ये सभी लोग कंपनी बनाकर फर्जी तरीके से लोन दिलवाते थे। बुधवार को पुलिस ने पूरे गिरोह का पर्दाफाश किया। पुलिस ने जालसाज गोविंद और विशाल को गिरफ्तार किया। जबकि विशाल की पत्नी नेहा फरार चल रही है। नेहा दिल्ली में एचडीएफसी बैंक की मैनेजर हैं पुलिस फरार बैंक मैनेजर की तलाश हापुड़, गाजियाबाद, नोएडा, दिल्ली आदि शहरों में कर रही है। पुलिस ने पकड़े गए आरोपियों के कब्जे से 206 डेबिट व क्रेडिट कार्ड, 58 पासबुक, 40 आधार कार्ड, 40 पैन कार्ड, 70 चेक बुक, 6 स्वाइप मशीन, 30 मोबाइल फोन व दो कीपैड मोबाइल फोन और एक टाटा हैरियर कार बरामद की है। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में बताया कि उन्होंने मेफर्स फैशन प्राइवेट लिमिटेड नाम से एक कंपनी बना रखी है। वे इस कंपनी में एक व्यक्ति को 5-6 महीने के लिए नौकरी पर रखते थे। इसके बाद उसके नाम से फर्जी तरीके से नाम, पता व मोबाइल नंबर तैयार कर लेते थे। कंपनी की पे स्लिप के आधार पर बैंक खाते खुलवाते थे। बैंक से लोन मिलने के बाद उस व्यक्ति को एक लाख रुपये दे देते थे। ताकि वह चुप रहे।

40 से 50 लाख रुपये का लेते थे लोन 
पुलिस जांच में पता चला है कि जिस व्यक्ति के नाम से लोन लिया जाता था, उसके नाम से नया मोबाइल सिम भी खरीद लिया जाता था, जिसे बैंक में अपडेट करा दिया जाता था। ये लोग मोबाइल व सिम भी अपने पास रख लेते थे। सिविल स्कोर बढ़वाकर और पे स्लिप के आधार पर ये लोग बैंक से 40 से 50 लाख का लोन और दो से तीन लाख रुपये लिमिट का क्रेडिट कार्ड जारी करवा लेते थे। क्रेडिट कार्ड और बैंक खाते में मिली लोन राशि तक ये खुद एक्सेस रखते थे और जिसके नाम पर क्रेडिट कार्ड और लोन जारी होता था उसे 40 से 50 हजार रुपये और किसी को एक लाख तक देकर बाकी राशि खुद इस्तेमाल कर लेते थे। 

ऐसे बंटती थी रकम 
डीसीपी ने बताया कि ये लोग लोन और क्रेडिट कार्ड की दो से तीन ईएमआई जमा कर देते थे। इसके बाद संबंधित व्यक्ति का पता बदल देते थे। दो से तीन महीने बाद ईएमआई जमा न होने पर जब बैंक वाले दिए गए पते पर संपर्क करते थे तो पता फर्जी होने के कारण वहां कोई नहीं मिलता था। मोबाइल नंबर पर भी इनसे संपर्क नहीं हो पाता था। लोन देने के बाद जो पैसा बचता था, अमित उसे इन सभी लोगों में उनके काम के हिसाब से बांट देता था। किसी व्यक्ति का लोन स्वीकृत होने पर इन लोगों को कमीशन के नाम पर करीब 4 से 5 लाख रुपये मिल जाते थे। 

ऐसे हुआ पर्दाफाश, पकड़ा गया गैंग
6 अक्टूबर को पैसों के लेनदेन को लेकर अमित की उसके दोस्तों ने ही हत्या कर दी थी। ग्रेटर नोएडा की दादरी पुलिस ने 7 अक्टूबर को अमित राठौर की हत्या का पर्दाफाश किया था। इस दौरान पता चला कि उसके ही कुछ दोस्तों ने डेढ़ करोड़ रुपये के लेनदेन के विवाद में उसकी हत्या कर दी थी। पुलिस ने मामले आरोपी हिमांशु, सचिन और ओमप्रकाश को गिरफ्तार किया है, जबकि रमेश चल रहा था। जांच के दौरान पुलिस को पता चला कि अमित इस गिरोह का मुखिया है। बैंक मैनेजर, उसका पति और ये लोग उसके दोस्त थे। जो उसके साथ मिलकर इस गिरोह को चला रहे थे। इस हत्याकांड के बाद पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो गया है। फिलहाल पुलिस इस मामले में महिला बैंक मैनेजर के साथ-साथ अन्य आरोपियों की भी तलाश कर रही है।

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